आज मैं आपको प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की जिंदगी से परिचय कर आऊंगा हम सभी अक्सर सोचते हैं कि हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा मुश्किल है लेकिन जब हम आइंस्टीन की जिंदगी पर विचार करते हैं तो हमारी मुश्किल है हमें बहुत छोटी नजर आती हैं यह प्रारंभ करते हैं उनके बचपन से बचपन में वह दो-तीन साल की आयु तक एक भी शब्द नहीं बोले थे और 78 वर्ष की आयु तक वह बोलने में धाराप्रवाह नहीं थे लेकिन 13 14 साल की आयु में उन्होंने अपने माता पिता और चाचा से गणित की किताबें लेकर डिफरेंशियल कैलकुलस इंटीग्रल कैलकुलस ज्योमेट्री और इस देसी अनेक विधाओं में महारत हासिल कर ली उन्होंने पाइथागोरस जैसी अनेक थ्योरम्स के एकदम नए हल निकाल दिए थे उन्हें जब कोई गणित या विज्ञान की किताब मिलती थी तो वह खेलना कूदना छोड़ कर उस किताब का को पढ़ने में जुड़ जाते थे इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि वे जिज्ञासु थे और हर समय सोचते रहते थे 5 वर्ष की आयु में उन्हें दिशा सूचक यंत्र खेलने को मिला तो उनके लिए यह एक आश्चर्य था की कंपास की सुई उत्तर दिशा में ही क्यों ठहरती है विमान में लगे थे की कोई ना कोई अदृश्य शक्ति है जो इस भौतिक जगत को नियंत्रित करती है उनकी बहन मां जाने लिखा है कि उन्हें उनके बच्चों को उनके साथियों के साथ खेलने में कोई रुचि नहीं थी वे उधम नहीं मचाते थे वे एकदम शांत प्रकृति के बालक थे जब सभी बच्चे गार्डन में खेल रहे होते थे तब वे अलग अलग बैठकर सोचते रहते थे हां इतना जरूर था कि जब बच्चे आपस में झगड़ने लगते थे तो उनके बीच में मध्यस्थ की भूमिका अलवर निभाते थे।
★ उनके माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इस कारण वे बार-बार स्थान एवं व्यवसाय बदलते रहे जिससे आइंस्टीन के स्कूल भी लगातार बदलते रहे उस स्कूल में उनके ज्यादा मित्र नहीं हुआ करते थे और वे घुल मिल नहीं पाते थे उन्हें टीचर्स का पढ़ाना भी पसंद नहीं था क्योंकि शिक्षक रटने के लिए जोर डालते थे उन्हें स्कूल के वातावरण में बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था इसीलिए उनके एक शिक्षक ने कहा था कि बड़ा होकर तुम कुछ नहीं बन पाओगे लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से सारी भविष्यवाणियों को ग़लत साबित कर दिया।