आत्महत्या रोकी जा सकती है?

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Wक्या हम सब मिलकर लोगों की जिंदगियां नहीं बचा सकते।आज मेरी बेटी ने मुझसे बहुत अच्छा प्रश्न किया ।क्या आत्महत्या करने वाले लोग अपना जीवन पूरी तरह समाज को समर्पित नहीं कर सकते?इस प्रश्न ने मुझे झकझोर कर रख दिया।जीवन अमूल्य है और छोटी-छोटी और महत्वहीन या तुच्छ बातों को दिल पर लेकर लोग जीवन त्याग रहे हैं।हर चालीस सेकंड में एक व्यक्ति विश्व मे कहीं न कहीं अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं।

क्या इसे रोका नहीं जा सकता?उन लोगों के पास कैसे पहुंचा जाए जो आज,कल,सप्ताह बाद या एक महीने बाद हमारे बीच नहीं रहेंगे।उनकी पहचान कैसे की जाए।दरअसल हम प्रतिदिन औसतन एक घंटा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं लेकिन वास्तव में सोसाइटी से दूर हो गए हैं,पड़ोसी का नाम तक नहीं जानते।अपने माता-पिता या भाई-बहन के दुख सुख से अपरिचित हैं।अपने पत्नी और बच्चों को समय न देकर स्यूडो जिंदगी जी कर मस्त हैं।

यही अकेलापन लोगों को एक झोंके में जीवन समाप्त करने को प्रेरित कर रहा है।इस मौत के लिए कोई बीमारी का बहाना लेता है तो कोई बिज़नेस में असफलता का।किसी को प्यार में असफल हो जाना तो कोई डाँट-फटकार या परीक्षा के भय से मौत को गले लगा लेता है।सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इस कृत्य को करनेवाला हमारी इसी सोसायटी के हिस्सा है और हमें पता तब लगता है जब वह व्यक्ति हमारे बीच से जा चुका होता है।

समाधान:-यह समस्या व्यापक है और इसे दूर करने में समय लगेगा।क्या हम अपने शहर ग्वालियर से इस अभियान की शुरूआत कर सकते हैं NO MORE SUCIDE PLEASE.

इस काम मे समाज के सब वर्गों का सहयोग जरूरी है।शहर के सारे डॉक्टर,सायक्लोजिस्ट एवं बुद्धिजीवी समझे जाने वाले मीडिया जगत के सभी साथियों के अलावा प्रशासन,वकील,शिक्षक और समाजसेवी संस्थाएं चाह लें तो यह सम्भव है।

आपको और हमें प्रतिदिन कम से कम पचास-सौ लोगों से मिलने का मौका मिलता है।आप सहमत होंगे कि चेहरे से पता चल जाता है कि आदमी के मन मे क्या चल रहा है।आइए आपसे मिलने वाले हर आदमी,औरत और बच्चे को देखकर उसके मनोभाव को समझने की कोशिश करें।

 अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अकेलापन ढूंढता है,समाज से कटना चाहता है और घुलता-मिलता नहीं है।जब भी कोई व्यक्ति निराशाजनक बातें करता मिले, उसे थोड़ा समय देकर उसकी बात सुनने और  सांत्वना देने का काम तो हम कर ही सकते हैं।अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए मोर्निंग वाक,योग और प्राणायाम की सलाह तो हम दे ही सकते हैं।

हम हर निराश व्यक्ति को आस दें और समझाएं कि यह समय भी गुजर जाएगा,थोड़ा धैर्य रखो।उन्हें स्टीफन हॉकिंग,अरुणिमा सिन्हा, हेलन केलर जैसे लोगों के संघर्ष को याद दिलाएं जिन्होंने परिस्थितियों का सामना करके दुनिया को महानता का संदेश दिया ।आइए इस अभियान की शुरुआत करें अब और आत्महत्या नहीं…

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