मेरा परिचय-प्रश्नोत्तर के माध्यम से

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प्रश्न:-आपको लोगों को मोटीवेट करने की प्रेरणा कैसे मिली।

उत्तर:-वर्ष 2010 में मेरी इकलौती बहन की असामयिक मृत्यु 

हो गयी और हम कुछ नही कर सके।वह मुझ से 03 साल छोटी थी।उसके जाने के बाद मुझे लगा कि लोगों को मोटिवेट करना मेरी जिंदगी का मकसद होना चाहिये।

प्रश्न:-आपकी नौकरी इस कार्य मे बाधा नहीं बनती।

उत्तर:-मुझे खुशी है कि लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होकर 1998 में मुझे विकास खंड अधिकारी के रूप में पदस्थापना मिली।इस नौकरी में मुझे वास्तविक रूप से गरीब,दीन-दुखी और दिव्यांगजन की सेवा करने का मौका मिला है।मुझे लगता है कि जितना सहयोग में इस नौकरी में रहकर लोगों का कर पा रहा हूँ उतना किसी अन्य व्यवसाय या नौकरी में नहीं किया जा सकता था।

प्रश्न:-आपने अब तक लोगों को प्रेरित करने की दिशा में क्या काम किया है?

उत्तर:-मैं शिक्षण संस्थाओं में छात्रों को मोटिवेट करने के साथ ही विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में लोगों को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का स्तर उच्च रखते हुए संतुलित जीवन पद्धति अपनाने हेतु मार्गदर्शन करता हूँ।जब भी मौका मिलता है साथी कर्मचारियों को अवसाद एवम निराशा से मुक्त रहकर प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीने हेतु अनुरोध करता हूँ।लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए एक वेबसाइट प्रारम्भ की है onlymotivations.com

इस वेबसाइट के माध्यम से ब्लॉग लिखकर तथा प्रेरक वीडियो पोस्ट करके लोगों को प्रेरित करने का प्रयास कर रहा हूँ।

प्रश्न:-वर्तमान में लोगों में अवसाद ग्रस्त रहने के क्या कारण हैं?

उत्तर:-विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया मे तीस करोड़ लोग डिप्रेशन अर्थात अवसाद की समस्या से ग्रस्त हैं और इनकी संख्या 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है।इसका सबसे बड़ा कारण है कि ईश्वर ने जो हमे दिया है उसका आनन्द न उठाते हुए जो हमे नहीं मिला उस पर हम फोकस कर रहे हैं।आज 33 फीसदी लोग नौकरी से असन्तुष्टि के कारण और 81 प्रतिशत लोग काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन न बना पाने की वजह से तनाव में हैं।दुनिया में दस करोड़ लोगों को स्लीप एप्निया है मतलब भरपूर नींद नही आती तथा एक तिहाई आबादी को हाइपरटेंशन की शिकायत है।हमने प्रगति की है और हमारी प्रति व्यक्ति आय कई गुना बढ़ चुकी है लेकिन इस प्रगति की जो कीमत हमने चुकाई है वह उपरोक्त आंकड़ों में साफ झलक रही है।

आज प्रत्येक चालीस सेकंड में दुनिया मे कोई न कोई सुसाइड कर रहा है,इससे खराब स्थिति और क्या हो सकती है।आज किसी के पास किसी के लिये टाइम नहीं है,सब दौड़ रहे हैं।

प्रश्न:-इन सब समस्याओं का क्या समाधान है?

उत्तर:-हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखने के साथ ही टेक्नोलॉजी का सुव्यवस्थित उपयोग करने की जरूरत है।मोबाइल को छोड़कर अच्छी किताबें पढ़ने के लिये वक्त निकालने की जरूरत है।दुनिया के सफलतम लोगों की बात करें तो ऐसा कोई नहीं है जिसने बिना कठिनाइयों के जीवन में सफलता प्राप्त की हो।दरअसल अभाव ही उत्प्रेरक है जो हमें कठोर परिश्रम की प्रेरणा देता है और मुसीबत एक अवसर है जिसमे आप धैर्य रखकर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेंगे तो आगे बढ़ेंगे।हमेशा जीवन मे बड़ा स्वप्न देखना और अनुशासित रहकर अपने सपनों का पीछा करने वालों को मंजिल जरूर मिलती है वह चाहे धीरू भाई अम्बानी,स्टीव जॉब्स या एडिसन रहे हों,जिंदगी सबकी परीक्षा किसी न किसी रूप में लेती है।प्रतिदिन नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक,योग प्राणायम करते हुए एक अच्छी हॉबी में अपने को व्यस्त रखकर आप डिप्रेसन से बच सकते हैं।

प्रश्न:-आप इस काम के लिये समय कैसे निकालते हैं?

उत्तर:-मैं प्रतिदिन शाम को दो-तीन घंटे नियमित रूप से लेखन के साथ-साथ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं रिपोर्ट्स को पढ़ता हूँ।लोगों को प्रेरित करने का अवसर मुझे मेरी नौकरी में मिलने वालों से चर्चा एवं दौरों के समय मिलता है।वर्तमान में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के रीजनल कोऑर्डिनेटर के रूप में मुझे ग्वालियर-चम्बल संभाग के ग्रामीणों को आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने का दायित्व दिया गया है।मेरा मानना है जीवन मे खुशियों का प्रवाह बेहतर आजीविका से सुनिश्चित होता है इसलिए मेरा वर्तमान पद मेरे प्रयासों में और अधिक उपयोगी सिद्ध हो रहा है।

प्रश्न:-आपकी भविष्य में क्या प्लानिंग है?

उत्तर:-मैं लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए एक किताब लिख रहा हूँ।साथ ही लोगों में मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखने हेतु ब्लाग एवम वीडियो के माध्यम से अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने हेतु प्रयासरत हूँ।

प्रश्न:-लोगों के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे।

उत्तर:-never give up जिंदगी का मूल मंत्र है।परिस्थियां कितनी भी कठिन क्यों न हों,एक रास्ता जरूर होता है-आगे बढ़ने के लिए।

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