डिप्रेशन से छुटकारा आसान है

Believe

साथियो ! नमस्कार,मेरे लिखे हुए लेख आप सभी पसंद कर रहे हैं,इस हेतु मैं आप सभी का आभारी हूँ।मेरा यूट्यूब चैनल https://www.youtube.com/user/gbrahmendrag भी आप लगातार देख रहे हैं इसके लिए भी आपका धन्यवाद।मेरे प्रयासों से यदि किसी एक व्यक्ति की जिंदगी में भी खुशी आती है और वह यदि आत्महत्या के प्रयास को छोड़ देता है तो मैं अपने प्रयास सार्थक समझूंगा।

★विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया मे तीस करोड़ लोग डिप्रेशन अर्थात अवसाद की समस्या से ग्रस्त हैं और इनकी संख्या 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है।इसका सबसे बड़ा कारण है कि ईश्वर ने जो हमे दिया है उसका आनन्द न उठाते हुए जो हमे नहीं मिला उस पर हम फोकस कर रहे हैं।आज 33 फीसदी लोग नौकरी से असन्तुष्टि के कारण और 81 प्रतिशत लोग काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन न बना पाने की वजह से तनाव में हैं।दुनिया में दस करोड़ लोगों को स्लीप एप्निया है मतलब भरपूर नींद नही आती तथा एक तिहाई आबादी को हाइपरटेंशन की शिकायत है।हमने प्रगति की है और हमारी  प्रति व्यक्ति आय 1990 में 380 डॉलर से बढ़कर 2016 में 1670 डॉलर यानि चार गुने से अधिक बढ़ चुकी है।लेकिन इस प्रगति की जो कीमत हमने चुकाई है वह उपरोक्त आंकड़ों में साफ झलक रही है।           

★आज मैं आपके सामने ऐसे तीन व्यक्तियों की जिंदगी से प्राप्त लर्निंगस(सबक) शेयर कर रहा हूँ,जिनके जीवन मे घोर अंधेरा था।यदि उनके स्थान पर कोई आम इंसान होता तो पहली चॉइस ही आत्महत्या होती लेकिन उनके लक्ष्य महान थे इसलिए वे न सिर्फ लड़े बल्कि इतिहास में अमर हो गए।   

★मैं शुरुआत करूंगा बीसवीं सदी की सबसे महान महिला शख्शियत ओपरा विनफ्रे से।ओपरा का जन्म एक बिन ब्याही माँ के गर्भ से सन 1954में हुआ।उनकी माँ लोगों के घरों में नौकरानी का काम करती थीं।अवैध संतान होने से उनका पालन पोषण उनकी नानी ने किया।अकेलापन,गरीबी और निराशा में उनका बचपन बीता।बताते हैं कि जब उनके पास कपड़े नहीं होते थे तो वे आलू के बोरे पहनती थीं।हालत यहां तक थी कि कई बार उन्होंने लोगों का फेंका हुआ खाना भी खाया।उनके नजदीकी रिश्तेदारों ने उनकी परिस्थिति का फायदा उठाकर उनका यौन शोषण किया और चौदह वर्ष की गुड्डे गुड़ियों से खेलने की उम्र में उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया जो कमजोर होने से ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह सका। स्कूल में अमीर बच्चों की संगत करने के लिए वे चोरी करना सीख गई थीं।हारकर उनकी मां ने उन्हें उनके सौतेले पिता के पास भेज दिया।ओपरा में बचपन से ही जबरदस्त पब्लिक  स्पीकिंग स्किल थी।हाइस्कूल के दौरान ही उन्हें एक लोकल रेडियो स्टेशन ने न्यूज़ रीडर का काम सौंपा जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।सौतेले पिता की देखरेख में वे ब्रिलिएंट स्टूडेंट बन चुकी थीं और उन्होंने दो ब्यूटी कॉन्टेस्ट भी जीते।उन्होंने एक टीवी चैनल पर न्यूज़ रिपोर्टिंग  के लिए अपनी स्पीच कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन की पढ़ाई छोड़ दी लेकिन कुछ दिनों के बाद उन्हें उस चैनल ने यह कहकर हटा दिया कि वे न्यूज रिपोर्टिंग के लायक नहीं है।ओपरा की जिंदगी में फिर अंधेरा छा गया क्योंकि पढ़ाई और कैरियर दोनों ही उनके हाथ से निकल चुके थे।लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे चलकर एक टीवी शो “द ओपरा विनफ्रे शो” को होस्ट किया जो दो दशक से भी अधिक समय तक जारी रहा और जिसके 5000 से अधिक एपिसोड प्रसारित हुए। आज वे बीसवीं शताब्दी की सबसे अमीर,सबसे प्रभावशाली और सबसे सफल महिलाओं में शामिल हैं।”क्वीन ऑफ ऑल मीडिया” कही जाने वाली ओपरा ने सदैव अपने अंतर्मन की आवाज को सुना और अपने जीवन के उद्देश्य को समझा।हम सब भी उनके जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं।                                  

★मेरी दूसरी कहानी के पात्र हैं निक वुजिसिक जिन्हें टेट्रा अमेलिया सिंड्रोम नामक बीमारी के कारण  बिना हाथ-पैर के ही जन्म लेना पड़ा।आप सोच सकते हैं कि बिना हाथ पैर के जीवन का क्या मतलब?अपाहिज बालक निक के ऊपर स्कूल के सब बच्चे हंसते थे और उनका कोई दोस्त नहीं था। जिसके कारण निक में भी निराशा आने लगी और दस वर्ष की आयु में उन्होंने आत्महत्या के बारे में सोचा लेकिन माता-पिता और भाई-बहन  के प्यार ने उन्हें रोक लिया।भगवान ने उन्हें क्या नहीं दिया इस पर विचार करना छोड़कर उन्होंने इस पर विचार करना शुरू किया कि ईश्वर ने उन्हें कितनी अच्छी आवाज,सुंदर आँखें,कान,नाक और चेहरा दिया है।अखबार में छपी एक विकलांग व्यक्ति की प्रेरणादायक कहानी ने निक के जीवन को बदल दिया।उन्होंने अविकसित पैरों से पेन पकड़कर लिखना शुरू किया एवं सत्रह वर्ष की आयु में एक एन जी ओ people without limbs बनाया। उन्नीस वर्ष की आयु में मोटिवेशनल भाषण देना शुरू किया।छत्तीस वर्ष की आयु में वे आज विश्व के जाने माने मोटिवेशनल स्पीकर,लेखक,संगीतकार और मार्गदर्शक है।वे बेहतरीन तैराकी करते हैं और फुटबाल भी खेलते हैं।शादीशुदा होकर उनका एक बच्चा भी हैं।वे कहते हैं कि मैं अपनी पत्नी का हाथ नहीं पकड़ सकता लेकिन उनका दिल संभाल सकता हूँ। किसी व्यक्ति के  हाथ-पैर न होने से भी ज्यादा मुश्किल यह है कि उसकी जिंदगी में उम्मीद ही न हो।इसलिए उम्मीद बनाये रखें और सदैव ईश्वर को उन चीजों के लिए धन्यवाद दें जो उसने आपको दी हैं।वे कहते हैं जीवन में धैर्यवान होना और कोशिश करते रहना जरूरी है क्योंकि कोशिशें ही कामयाब होती हैं।  

 ★अब मैं तीसरी शख़्शियत की ओर बढ़ता हूँ  जिनका नाम है स्टीव जॉब्स।एक अनब्याही माँ के पुत्र के रूप में उनका जन्म हुआ क्योंकि जब कॉलेज के दिनों में उनकी माँ गर्भवती हुईं तो उनके बायोलॉजिकल पिता ने शादी करने से इनकार कर दिया था।उनके प्रारंभिक दिन अनाथालय में बीते।एक दंपत्ति के द्वारा इस शर्त पर स्टीव को गोद दिया गया कि वे स्टीव को कॉलेज में पढ़ाएंगे लेकिन कॉलेज में स्टीव को पढ़ाई बोरिंग लगी क्योंकि वहां उन्हें जिन विषयों में उनकी रूचि नहीं थी वे विषय भी पढ़ाये जाते थे।उन्होंने अनौपचारिक रूप से कॉलेज छोड़ दिया ।अब वे केवल उन्हीं क्लास में जाते थे जिनमें उनकी रूचि थी।इस दौरान वे केवल कैलीग्राफी की क्लासेज में जाते थे उनके द्वारा सीखी गई यह विधा भविष्य के सुंदर फ़ॉन्ट्स का आधार बनी।अठारह  महीने तक उन्होंने संघर्ष किया।इस दौरान उनके पास कोई रूम नहीं था और वे दोस्तों के रूम में फर्श पर सोते थे,कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल को इकट्ठा करके बेचने से जो पैसे मिलते थे उनसे खाना खाते थे।इतना ही नहीं हर रविवार वे हरे कृष्णा मंदिर में खाना खाने के लिए ग्यारह किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे ताकि भरपेट खाना खा सकें।सन 1973 में  अपने मन की अशांति दूर करने के लिए वे कई महीने भारत मे रहे ।नैनीताल के कैंचीधाम मंदिर के नीब करौरी बाबा के समाधिस्थ हो जाने से उन्हें दर्शन तो नहीं हुए लेकिन उनकी प्रतिमा वे सदैव अपने साथ रखते रहे।एप्पल कंप्यूटर बनाने की शुरुआत एक गैरेज से हुई ।उस समय स्टीव बीस साल के थे।दो लोगों से शुरू हुई यह कंपनी अगले दस साल में दो बिलियन डॉलर और 4000 कर्मचारियों की कंपनी बन गयी।लेकिन अपने सहयोग  के लिए जिस  सीईओ को उन्होंने नियुक्त करवाया उसी से विवाद के कारण कुछ समय बाद उन्हें एप्पल से बाहर कर दिया गया।वे शिखर से शून्य पर आ गये थे जबकि इस समय उनकी आयु केवल तीस वर्ष थी।उन्होंने फिर शुरुआत की और नेक्स्ट एवम एनिमेशन पिक्सर नामक कंपनी बनाई।पांच साल बाद एप्पल ने नेक्स्ट को खरीद लिया और वे फिर एप्पल में आ गए।साथियो,आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब स्टीव की एप्पल में पुनर्वापसी हुई तो उन्होंने कंपनी में बहुत छोटे पद से शुरुआत की।है न हैरानी की बात कि जिस कंपनी को उन्होंने बनाया था उससे पहले बाहर निकाले गए और फिर मेहनत करके फिर से सीईओ बने।वे बहुत सफल रहे लेकिन किस्मत ने फिर झटका दिया।उनके पेनक्रियाज में दुर्लभ प्रकार का केंसर हो गया जिससे दस वर्ष तक जिंदादिली से लड़े लेकिन ईश्वर ने इस दिग्गज टेक्नोक्रेट को हमसे छीन लिया । वे हमेशा कहते रहे …think different और stay hungry… stay foolish।  

 ★ये तीनों व्यक्तियों की जिंदगी हमें never give up की प्रेरणा देती है।इनकी जिंदगी हमें बताती है कि हम जीवन में घोर अंधकार के बीच रौशनी की एक किरण के साथ आगे बढ़ें और केवल अपने अंतर्मन की सुनें और जो अच्छा लगे वही करें।इन तीनों ने बिना किसी की परवाह किये जो अच्छा लगा वही किया।साथियो,आपके जीवन का एक मकसद होना जरूरी है।भले ही पेट भरने के लिए आपको दूसरों के मन का काम करना पड़े लेकिन हमें अपने मन का काम करने के लिए समय निकालना चाहिए क्योंकि असली खुशी  तो मन के काम से ही हासिल होगी।                                             

★मुझे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर हम सबको सही रास्ता दिखाएगा और  हम अपने मानसिक अवसाद को पीछे छोड़ते हुए  एक ऐसे समाज का निर्माण करेंगे जिसमे कोई व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास न करे……इस लेख को आखिर तक पड़ने के लिए आपका आभार।

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