सफलता का अचूक मंत्र

Big Dreamer Guidance Inspirational

ज़िंदगी में जितने भी लोग सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हैं उन सबमें एक कॉमन गुण होता है जिसे द्रढ़ता कहा जाता है.वे उस बच्चे की तरह होते हैं जो चलना सीखने के लिए हज़ारों बार गिरता है लेकिन कोशिश करना नहीं छोड़ता.भला बिना गिरे क्या कोई सायकिल चलाना सीख सकता है?

जब आप किसी काम को करने का संकल्प कर लेते हैं तो सदैव उसे अपने सामने रखिए और रोज़ केवल एक कदम मंज़िल की ओर बढ़ाने से ही आपका सपना साकार हो जाएगा.आपने ठीक समझा..केवल एक कदम नियमित रूप से बिना नागा किए अपने जुनून की ओर बढ़ाना है.

मान लीजिए आप एक सिंगर बनना चाहते हैं तो रोज़ आपको रियाज़ करना होगा आप देखेंगे कि आपकी प्रतिभा दिन-पे-दिन निखरती जा रही है.यह नियम जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है चाहे आप प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं,बिज़नेस करना चाह रहे हैं,खेल में आगे बढ़ना चाह रहे हैं या कोई और काम करना चाह रहे हैं निश्चित सफलता के लिए प्रतिदिन नियमित प्रयास से बड़ी कोई बात नहीं हो सकती.

जब हम जीवन में आगे बढ़ रहे होते हैं तो सदैव अच्छी स्थितियाँ मिलें यह सम्भव नहीं है.मंज़िल तक पहुँचने से पहले कई दफ़ा आपको लगेगा कि परिस्थितियाँ एकदम विपरीत हैं और अपने सपने का पीछा करना नामुमकिन है तब आपके धैर्य की असली परीक्षा होगी.जब सब कुछ आपके विरुद्ध हो तो भगवान पर भरोसा रखें क्योंकि जिस काम के लिए उसने आपको प्रेरणा दी है उसे वह पूरा भी कराएगा,यह विश्वास आपके मन में हमेशा रहना चाहिए.

जिन्हें हम कष्ट कहते हैं वह राम और कृष्ण के कष्टों के सामने कुछ भी नहीं हैं.यदि हमें चौदह वर्ष के लिए जंगल में रहने को कहा जाए तो हम में से शायद ही कोई तैयार होगा लेकिन अयोध्या के राजकुमार जिनका राज्याभिषेक होने वाला था और वनवास मिल गया लेकिन वे विचलित नहीं हुए जबकि वे फूलों से कोमल थे.और तो और माता सीता उनके साथ चल दीं जिन्होंने कभी कष्ट देखे नहीं थे.जब रावण सीता जी का हरण कर लेता है तब राम की असहायता देखकर कोई भी व्यक्ति टूट जाएगा लेकिन उन्होंने महारथी रावण के विरुद्ध वानरों की सेना का प्रयोग करके विजय प्राप्त की मतलब जो काम वे कर सकते थे उसे कुशलता पूर्वक किया.वे पूरे जीवनकाल में कभी न तो निराश हुए और न अनीति का सहारा लिया.

जब कृष्ण के जीवन को देखते हैं तो बचपन से ही मृत्यु उनका पीछा करती है लेकिन वे उसे हर बार पराजित करते हैं और अपनी शिक्षा और बुद्धि से हर पराजय को विजय में परिवर्तित करते जाते हैं.यहाँ तक कि अपमान सहने और रणछोड़ कहलाने में भी पीछे नहीं रहते लेकिन धर्म की स्थापना के काम को पूर्ण करने का संकल्प कभी नहीं छोड़ते.

आधुनिक समय में दुनिया के सबसे धनवान जेफ़ बेजोस ने पहले वर्ष में केवल पुस्तकों की बिक्री की थी या ऍपल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जोब्स ने पहले साल कम्प्यूटर ही बेचे थे लेकिन वे तब भी डटे रहे जबकि इन्हें कम्पनी से फ़ायर (निकाल)दिया गया.

दूसरे विश्व युद्ध में जब जापान पर बम गिराए गये तो इस दौरान सोईचिरो होंडा का कारख़ाना नष्ट हो गया था लेकिन उन्होंने सायकिल में मोटर फ़िट करके नई शुरुआत की लेकिन हार नहीं मानी.इसी प्रकार जब एडिसन की कम्पनी में आग लग गयी तो वे घबराए नहीं बल्कि अपने बच्चों को बुलाकर वह नजारा देखने को कहा लेकिन अंदर ही अंदर संकल्प लिया कि एक वर्ष में फिरसे नया कारख़ाना बना डालूँगा.

जब आपको आपके बिज़नेस में सफलता न मिल रही हो तो शांति से बैठकर विचार करें और अपना आत्म विश्लेषण करें कि क्या सुधार किया जाना ज़रूरी है.इस काम में अपने परिवार,बच्चे और नज़दीकी मित्रों को भी शामिल करें.मेरा आपसे आग्रह है कि अपनी पत्नी से ज़रूर सलाह लें क्योंकि वह आपको सबसे ज़्यादा अच्छे से जानती है.फिर जो समाधान मिलें उनको अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए लागू करें.

सबसे महत्वपूर्ण बात है कि अपने जीवन का उद्देश्य काफ़ी सोच-विचार और खुद की कमज़ोरियों और ताक़त को ध्यान में रखकर करें लेकिन जब एक बार संकल्प ले लें फिर उस पर डटे रहें भले ही आँधी-तूफ़ान आते रहें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *