सफलता का राज-क्वालिटी को अपनी आदत बना लीजिए

Habbits

आज सुबह जब मॉर्निंग वॉक से लौटते समय जब एक नाश्ते की दुकान पर भीड़ देखी तो विचार आया कि कुछ व्यवसायी सफल क्यों होते हैं और कुछ के प्रतिष्ठानों पर मक्खियां क्यों भिनभिनाती रहती हैं? ग्वालियर से जब कोई मिलने वाला आ रहा हो तो हम उससे बहादुरा के लडडू लाने का आग्रह किये बिना नहीं रह पाते और जब ग्वालियर में हो तो एस एस कचौड़ी वाले की कचौड़ी या रेल्वे स्टेशन पर स्थित बृजवासी के समौसे का स्वाद आपको बरवस अपनी ओर खींच लेता है.ऐसी बात नहीं है कि ऐसा केवल ग्वालियर में होता हो.मथुरा के पेड़े,बीकानेर की भुजिया या इलाहबाद की जलेबी हमें आज भी याद है.

 यह बात केवल खाने की चीजों पर लागू होती हो ऐसा नहीं है बल्कि हर कस्बे या शहर में ऐसे दस-बीस लोग मिल जायेंगे जिन्होंने अपना काम बहुत छोटे स्तर से शुरू किया और आज वे उस शहर की पहचान बन चुके हैं.और तो और उनकी गिनती आज शहर के सबसे रईस लोगों में होती है.इनमे लकड़ी का काम करने वाले,केटरिंग का काम करने वाले,बिजली के उत्पादों की मरम्मत करने वाले,किराने की दुकान और इन जैसे अनेक छोटे-मोटे काम करने वाले शामिल हैं जिन्हें हम छोटा या तुच्छ समझते रहे हैं.

 आइये इनके विशेषज्ञ बनने की कहानी समझें.इन सभी ने अपने काम की शुरुआत बहुत ही प्रारंभिक स्तर जिसे हम गुमटी या ठेला लगाना कह सकते हैं.उनकी गुमटी या ठेले पर शुरू में दस-बीस  लोग ही आते थे लेकिन उन्होंने अपनी विनम्रता और गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया इसलिए माउथ पब्लिसिटी ने उन्हें घर-घर तक पहुंचा दिया.उन्होंने अपने काम में लगातार परफेक्शन किया लेकिन मूल स्वरुप को नहीं बदला.इतना ही नहीं उन्होंने कभी भी अपने काम को नौकरों के भरोसे नहीं छोड़ा और आज भी पहले की तरह अपनी दुकान पर बैठते हैं भले ही आज उनकी दुकान पर सुबह से शाम तक हजार लोग आ रहे हैं.इस दौरान उन्होंने अपनी कई शाखाएं खोलीं लेकिन गुणवत्ता को सर्वोपरि रखा.कई अन्य लोगों ने उनके देखा-देखी नकल करने की सोची लेकिन तथाकथित कम्पीटीशन उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाया क्योंकि उनके प्रोडक्ट में दम है.उन्होंने अधिक लाभ लेने के लिए मिलावट या कम गुणवत्ता से किनारा किया और प्रोडक्ट की समय से डिलीवरी की.

 आज जब युवाओं में बेरोजगारी की स्थिति भयावह है तब किसी की नौकरी करने के स्थान पर हम किसी को नौकरी देने का विचार क्यों नहीं करते.क्यों न अपना स्वयं का काम छोटे स्तर से कम पूँजी से शुरू करके आगे बढ़ें.उपरोक्त सूत्र स्वर्गीय धीरू भाई अम्बानी से लेकर आज तक कायम हैं.दुनिया में केवल एक काम ख़राब है और वह है-चोरी करना इसके अलावा सारे काम अच्छे हैं.

 आइये जहां हैं वहां से अपने काम की शुरूआत करें.लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह छोड़ दीजिये.भगवान पर भरोसा कीजिये आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी.इस प्रयास के कुछ निश्चित चरण हैं-

*सर्वप्रथम उस व्यवसाय को चुनें जो आपको पसंद है,यदि आप उस काम को कर रहे हैं जिसमे आपकी रुचि नहीं है तो उसे तत्काल बदल दीजिये.

*प्रारंभिक पूंजी के लिए नाबार्ड/उद्योग विभाग/राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन या अन्य किसी शासकीय योजना से फण्ड मिल सकता है (यहां मेरा निवेदन है कि लोन लेते समय अपनी नीयत साफ रखें कि आप उस लोन का समय पर रीपेमेंट करेंगे।अन्यथा आपका असफल होना तय है,क्योंकि लोन लेकर  डकार जाने वाले अगले महीने फिर पैसों के लिए लाइन में लग जाते हैं)।

*आपके पास व्यवसाय के संबंध एक्सपर्टीज होना जरूरी है इसलिए बेहतर होगा कि आप पैतृक व्यवसाय चुनें।

*व्यवसाय की बारीकियां सीखने के लिये अन्य समान व्यवसायियों की माइक्रो लेवल प्लानिंग सीखें।

*व्यवसाय से संबंधित बैकवर्ड एवम फॉरवर्ड लिंकेजेज का अध्धयन करें।

*लगातार अपना ज्ञान बढ़ाएं एवम धैर्य रखें।

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