आप में से जिन लोगों से मैं रोज़ मिलता हूँ उनसे यह चर्चा जरूर होती है कि प्रतिदिन मेरे दिन की शुरुआत 40 मिनट की मॉर्निंग वॉक और सुदर्शन क्रिया से होती है.सुदर्शन क्रिया साँसों की एक लयबद्ध पद्धति है जिसे आदरणीय गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने आविष्कृत किया है और इसका पेटेंट उनके पास है.
सुदर्शन क्रिया क्या है:-1981 में युवा रवि शंकर देश-विदेश में अपने योग और ध्यान के भव्य प्रचार-प्रसार के बावजूद भी कुछ अधूरा अनुभव कर रहे थे | उन्हें ये लगने लगा था कि इस सदी के लोगों को कुछ और भी चाहिए जो लोगों के लिए, ध्यान की प्रक्रिया को सहज और आसान बना सके | उन्हें इस बात का पूरा आभास हो गया था कि तनाव और अशांति से जूझ रहे, दुनिया भर के लोगों को एक ऐसी तकनीक चाहिए जो उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बना सके ! इसी प्रक्रिया की खोज में वे 1981 की शारदीय नवरात्रि में केन्गेरी नदी के किनारे 10 दिनों के मौन में गए | मौन और ध्यान साधना के फलस्वरूप उनके भीतर एक श्वांस तकनीक की प्रेरक किरण फूटी | और मार्च 1982 में कर्नाटक के भद्रावती नदी के किनारे उस प्रक्रिया को सम्पूर्ण अभिव्यक्ति और एक पहचान मिली | प्रकृति की लय से एक लय फूटी जिसे गुरुदेव ने ‘सुदर्शन क्रिया’ कहा !
सुदर्शन क्रिया से मेरा परिचय:-अब तक पच्चीस लोगों को ऑनलाइन सुदर्शन क्रिया सीखने हेतु प्रेरित करने का मुझे सौभाग्य मिला है.आपको बताना चाहूंगा कि मुझे भी एक व्हाट्सप्प मैसेज के माध्यम से एक मित्र ने इस क्रिया को सीखने हेतु कहा था लेकिन कोविड काल में जनवरी 2021 में रेजिस्ट्रेसन करने के बाद भी समयाभाव का रोना रोकर मैं इस कार्यक्रम को ज्वाइन नहीं कर सका.
05 मार्च 2021 को आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था की ईशा छलियावाला मेम का फोन आया कि आप सुदर्शन क्रिया के लिए पहले से ही रजिस्टर्ड हो इसलिए बिना किसी औपचारिकता के अगले दिन से चार दिन के ऑनलाइन अभ्यास सेशन में शामिल हो सकते हो.समय की कमी को एक तरफ रख मैं सुबह 06 से 08 बजे की ज़ूम ऍप्लिकेसन से होने वाले ध्यान कार्यक्रम में सम्मिलित हो गया.खेल-खेल में वर्तमान पल में रहने से लेकर सजग रहने की कला सुश्री ईशा मैडम और उनकी माँ श्रीमती नयना बोडावला ने बहुत ही सरलता से समझाई.
सुदर्शन क्रिया के स्तर:-उज्जई और भस्त्रिका प्राणायाम के माध्यम से सांसों पर नियंत्रण रखना इस क्रिया का आधार है जिसके बाद ॐ का तीन बार उच्चारण कर क्रिया में प्रवेश होता है.
सुदर्शन क्रिया से लाभ:- मार्च 2021 से लगातार सुदर्शन क्रिया मेरे जीवन का अनिवार्य अंग है.पिछले 365 दिन में 08-10 दिन किन्हीं कारणों से मैं यह क्रिया नहीं कर पाया हूँ अन्यथा 40 मिनट की यह क्रिया मेरी सुबह को ऊर्जा से भर देती है और मैं बिना थके लगातार रात 10-11 बजे तक चैतन्य होकर काम करता रहता हूँ.इसे करने से मेरा तनाव का लेवल बहुत घट गया है और नींद की क्वालिटी उत्कृष्ट हो गयी है.अब समस्याएं मेरी मुस्कराहट नहीं छीन पातीं और लोगों के बीच मैं सुदर्शन क्रिया का प्रचारक बन गया हूँ.जब मैं यह क्रिया नहीं करता था तब आँख बंद करने पर भी विचारों का तीव्र प्रवाह लगातार बिना रुके चलता रहता था लेकिन इस क्रिया को सीखने के बाद विचार एकदम धीमे और शांत हो गए हैं,विचारों का फोकस बढ़ गया है और अब ध्यान लगाना नहीं पड़ता बल्कि दिन भर ध्यान में ही रहने लगा हूँ.मेरा लक्ष्य है कि सुदर्शन क्रिया का डाईबिटीज पर होने वाले सकारात्मक प्रभावों का स्वयं पर अध्ययन कर लोगों के समक्ष लाऊँ क्योंकि जो रोग मन की जटिलताओं से पैदा होता है उसे मन को शांत रखकर दूर भी किया जा सकता है.आपको बता दूँ कि भाग-दौड़ और तनाव भरी जीवनशैली के कारण मुझमें वर्ष 2004 में डाइबिटीज के लक्षण पहली बार दिखे थे.
सुदर्शन क्रिया का विज्ञान:-यह क्रिया ध्यान की प्रक्रिया को सहज और आसान बना देती है.दुनिया भर में प्रकाशित 100 से भी अधिक स्वतंत्र शोध पत्र, सुदर्शन क्रिया और सम्बंधित श्वसन तकनीकों के लाभ का समर्थन करते हैं.इनमें रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं लिमफोसाइट्स में 33% वृद्धि (छः सप्ताह में),गहरी नींद में सुधार,तनाव हॉर्मोन सीरम कर्टिसोल में 57% कमी (केवल 2 सप्ताह के भीतर),जीवन संतोष में 21% वृद्धि (केवल एक सप्ताह के भीतर ही),नींद की गुणवत्ता में तीन गुना सुधार,एंटी ऑक्सीडेंट के स्तर में वृद्धि,DNA क्षय को रोकना और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार,कोलेस्ट्रोल में कमी के अलावा बुढ़ापे को रोकना आदि लाभ रिसर्च से प्रमाणित है.इस क्रिया के करने से क्लिनिकल और नॉन क्लिनिकल डिप्रेशन,चिंता और भय छू मंतर हो जाता है.इस क्रिया को करने वालों के मस्तिष्क में बीटा तरंगों की क्षमता असाधारण रूप से बढ़ने के प्रमाण मिले हैं जिससे मानसिक जागरूकता और एकाग्रता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
यदि आप भी शांत रहकर जीवन के अपने दायित्वों का सम्यक निर्बहन करना चाहते हैं तो इस आसान सी प्राणायाम तकनीक को आजमा सकते हैं.मुझे लगता है कि आप सब को इस अद्भुत क्रिया को अवश्य सीखना चाहिए.